साभार दैनिक भास्कर
शिमला। कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन मानी जाती है। उसके बाद अमरनाथ यात्रा का नंबर आता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊचाई पर चढ़ना होता है।
श्रीखण्ड यात्रा के आगे अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई कुछ भी नहीं है। ऐसा उन लोगों का कहना है जो दोनों जगह होकर आए हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा नहीं चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
क्या है पौराणिक महत्व- पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडव श्रीखंड महादेव की चोटी तक इन्हीं रास्तों से गए थे। एक और कथा के अनुसार, यहां भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। शिव ने भस्मासुर को यहीं भस्म किया था। आज भी यहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देता है।
इस बार कैसा है यात्रा मार्ग- कुल्लू जिला के आनी उपमंडल के निरमंड खंड में 18570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की यात्रा इस बार पहले से ज्यादा जोखिम भरी है। इस बार पार्वती बाग तक भले ही रास्ता ठीक है, लेकिन इससे आगे श्रीखंड तक पूरे रास्ते में बर्फ है और रास्ते का नामोनिशान गायब है। आनी से श्रीखंड यात्रा पर जाकर सकुशल वापस लौटे कुशाल सागर, गोल्डी,दीपू और रवि ने बताया कि वे लोग 3 जुलाई को आनी से श्रीखंड यात्रा के लिए रवाना हुए थे और 7 जुलाई को घर वापस लौट आए। कुशाल सागर ने बताया कि 4 जुलाई को उन्होंने सिंहगाड से कुंशा, 5 जुलाई को कुंशा से पार्वती बाग और 6 जुलाई को श्रीखंड महादेव के दर्शन कर रात को थाचडू में विश्राम किया था। जबकि 7 जुलाई को थाचडू से सफर शुरू कर सकुशल घर लौट आये थे।
नहीं पिघले हैं ग्लेशियर- कुशाल सागर ने बताया कि भीम डवारी से कुछ आगे पहला ग्लेशियर मिला। जबकि पार्वती बाग के बाद केवल बर्फ ही बर्फ है। रास्ता लगभग गायब है, ग्लेशियरों की गिनती कर पाना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि पूरा रास्ता उन्होंने डंडे के सहारे पार किया। उन्होंने बताया कि हालांकि सोमवार को इस यात्रा के दौरान सोलन जिले के युवक की मौत हो जाने के बाद प्रशासन द्वारा आधिकारिक तौर पर 17 जुलाई से यात्रा आरंभ करने और उससे पहले यात्रा पर न जाने की चेतावनी जारी की गई है। बावजूद इसके हर रोज करीब 40 से 50 श्रद्धालु यात्रा पर निकल रहे हैं।
लग चुके हैं यात्रियों के लिए टेंट- कुछ यात्री रास्ते से भी वापस आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बराहटीनाल, सिंहगाड, डंडाधार,थाचडू, काली टॉप कालीघाटी, भीम तलाई, कुंशा, भीम डवारी में टेंट लग चुके हैं, जहां खाने, ठहरने की व्यवस्था लोगों द्वारा की गई है।
प्रशासन 17 जुलाई से शुरू करेगा यात्रा- एसडीएम आनी डॉक्टर चिरंजी लाल चौहान ने बताया कि प्रशासन द्वारा यात्रा 17 जुलाई से शुरू की जाएगी और अंतिम जत्था 27 जुलाई को सिंहगाड से रवाना किया जाएगा। जबकि 30 जुलाई को यात्रा बंद कर दी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि अभी मौसम और हालात बेहद खतरनाक हैं, ऐसे में तय समय से पहले यात्रा पर न जाएं।
विभिन्न स्थानों से दूरी
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
शिमला से रामपुर - 130 किमी
रामपुर से निरमंड - 17 किलोमीटर
निरमंड से बागीपुल - 17 किलोमीटर
बागीपुल से जाओं - करीब 8 किलोमीटर
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